Wednesday 8 December 2021

एक ताबीज़ तेरी मेरी दोस्ती को भी चाहिए… थोड़ी सी दिखी नहीं कि नज़र लगने लगती है।



एक ताबीज़ तेरी मेरी दोस्ती को भी चाहिए…थोड़ी सी दिखी नहीं कि नज़र लगने लगती है।


गुनगुनाना तो तकदीर में लिखा कर लाए थे,
खिलखिलाना दोस्तों से तोहफ़े में मिल गया।


ज़िन्दगी इतिहास फिर नही दोहराती,
हर पल हर मोड़ पर है दोस्तों की याद आती,
ज़िन्दगी दोस्ती के लम्हो में है गुम हो जाती,
उन लम्हो को सोच कर हमारी आँखे हैं नम हो जाती।


अच्छा और सच्चा दोस्त एक फूल है,
जिसे हम तोड़ भी नही सकते,
और अकेला छोड़ भी नही सकते,
अगर तोड़ लिया तो मुरझा जायेगा,
और छोड़ दिया तो कोई और ले जायेगा।




ज़िन्दगी के सारे गम क्यों बाँट लेते हैं दोस्त,
क्यों ज़िन्दगी में साथ देते हैं दोस्त,
रिश्ता तो सिर्फ उनसे दिल का होता है जी,
फिर भी क्यों हमे अपना मान लेते हैं दोस्त।






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